भारत की पहली महिला जज कौन थी, जानें

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जिसके चार स्तंभ हैं। इन चार स्तंभों में एक स्तंभ न्यायपालिका रूप में भी जाना जाता है, जो कि भारत का अभिन्न अंग है। कोर्ट के माध्यम से हम समय-समय पर कई महत्वपूर्ण फैसले भी देखते रहते हैं।

इस कड़ी में कोर्ट की ओर से कई एतिहासिक फैसले भी हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। वर्तमान में हमें अलग-अलग स्तर पर न्यायापालिक का ढांचा देखने को मिलता है, जिसमें स्थानीय स्तर पर जिला कोर्ट व इसके बाद हाई कोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट हैं।

इन सभी कोर्ट में न्यायपालिका को सुचारू रूप से चलाने के लिए जजों की बेंच होती है। हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत की पहली महिला जज कौन थी। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम भारत की पहली महिला जज के बारे में जानेंगे। 

 

कौन थी भारत की पहली महिला जज

भारत की पहली महिला जज के बारे में बात करें, तो पहली महिला जज अन्ना चांडी थी। वह ब्रिटिश काल में एमिली मर्फी के बाद पहली भारतीय महिला थी, जिन्हें भारत में जज बनने का मौका मिला था। 

 

पहली महिला जज का जीवन परिचय

अन्ना चांडी का जन्म साल 1905 में त्रावणकोर में हुआ था, हालांकि उनकी परवरिश त्रिवेंद्रम में हुई। साल 1926 में उन्होंने अपनी पीजी डिग्री पूरी की, जिसके बाद वह अपने राज्य से कानून की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली महिला बन गई थीं।

साल 1929 से उन्होंने बैरिस्टर के रूप में अपना करियर शुरू किया और इसके बाद 1931-32 में विधानसभा चुनाव लड़ा। साल 1932 से 1934 तक उन्होंने विधायक के रूप में अपनी सेवाएं दी। साल 1937 में त्रावणकोर के महाराजा द्वारा उनके दीवान की सलाह पर चांडी को मुंसिफ के तौर पर नियुक्त किया गया, जिससे वह भारत की पहली महिला जज बनी। 

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हाई कोर्ट की पहली महिला जज

साल 1948 में वह जिला कोर्ट तक पहुंची। इसके बाद 9 फरवरी, 1959 में जब उन्हें केरल हाईकोर्ट में नियुक्त किया गया, तो वह भारत में हाई कोर्ट में पहली महिल जज के रूप में नियुक्त हुई। उन्होंने 1967 तक यहां पर अपनी सेवाएं दी।

इसके बाद रिटायरमेंट होने पर वह कानून आयोग का हिस्सा बन गई। उन्होंने 20 जुलाई 1996 में 91 वर्ष की आयु में अपनी आखिरी सांस ली। वहीं, चांडी ने अपने जीवन के ऊपर आत्मकथा नाम से एक ऑटो बायोग्राफी भी लिखी है।

चांडी ने महिला जज के रूप में इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया और अन्य महिलाओं को भी कानून के पेशे से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। वर्तमान में भारतीय न्यायपालिका व्यवस्था में अलग-अलग पदों पर महिला जज कार्यरत हैं। 

 

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Source: vcmp.edu.vn

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