भारत में कहां होता है पांच नदियों का संगम, जानें

भारत में नदियों का अधिक महत्व है। एक तरफ नदियां जहां पीने के पानी से लेकर कृषि व अन्य कामों में इस्तेमाल होती है। वहीं, नदियों का धार्मिक महत्व भी है। यही वजह है कि भारत में आपको नदियों के किनारे घाट और घाटों पर सुबह-शाम नदियों की आरती होती हुई मिलेगी।

क्योंकि, भारत में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है, ऐसे में हिंदु समुदाय की नदियों को लेकर अधिक आस्था है। आपने भारत में तीन नदियों के संगम के बारे में तो सुना होगा, जो कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में होता है।

यहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। हालांकि, सरस्वती नदी यहां पर लुप्त बताई जाती है। यह जगह कुंभ के मेले को लेकर भी विश्व प्रसिद्ध है। हालांकि, क्या आपको भारत के ऐसे स्थान के बारे में बता है, जहां पर तीन नहीं, बल्कि पांच नदियों का संगम होता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम भारत के इस स्थान के बारे में जानेंगे। 

 

किस नाम से जाना जाता है पांच नदियों का संगम

भारत में जिस जगह पर पांच नदियों का संगम होता है, उस स्थान को पचनद नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि इस स्थान को महातीर्थ स्थान नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में हर साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। 

See also  You have sharp eyesight if you can spot a frog in the bathroom within 8 seconds!

 

किस स्थान पर होता है पांच नदियों का संगम

भारत में जिस स्थान पर पांच नदियों का संगम होता है, वह स्थान उत्तर प्रदेश के जिला इटावा और जिला जालौन के बीच पड़ती है। यहां पर साफ तौर पर पांच नदियों का संगम देखा जा सकता है।

सुबह और शाम के वक्त सूरज की लालिमा जब नदियों पर पड़ती है, तब यहां का नजारा और भी खूबसूरत हो जाता है। 

 

कौन-सी पांच नदियों का होता है संगम

भारत में इस स्थान पर जिन पांच नदियों का संगम होता है, उसमें यमुना, चंबल, सिंध, कुवारी और पहज नदी है। यह पांच नदियां अलग-अलग दिशाओं से आकर यहां पर मिलती हैं, जो कि भारत में अपने आप में एक अनूठी जगह है। 

 

क्या है यहां की कहानी

इस जगह को लेकर पौराणिक कथाओं में अलग-अलग कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। मान्यताओं के अनुसार, यही वह स्थान है, जहां पर पांडव आकर रूके थे और यहां पर भीम ने बकासुर का वध किया था।

वहीं, दूसरी कहानी यह भी है कि यहां पर कवि तुलसीदास आए थे और उन्होंने महर्षि मुचकुंद की परीक्षा ली। उन्होंने पानी पीने के लिए जब पचनद की तरफ कदम बढ़ाएं, तो मुचकुंद ने अपने कमंडल से पानी छोड़ा था। 

 

पढ़ेंः भारत का कभी न सोने वाला शहर कौन-सा है, जानें

Categories: Trends
Source: vcmp.edu.vn

Leave a Comment