भारत में आपने अलग-अलग शहरों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। अलग-अलग शहरों की अपनी पहचान है, जिससे भारत को पहचान मिलती है। इन शहरों का खान-पान, रहन-सहन और वेशभूषा समेत संस्कृति व अनूठी परंपराएं शहरों को विशेष बनाने का काम करती हैं।
यही वजह है कि भारत को विविधताओं का देश भी कहा जाता है, जहां आपको कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही विविधता मिलेगी। हमारे जीवन से दरवाजे जुड़े हुए हैं, जो कि हमारे घरों से लेकर कार्यालय, स्कूल, कॉलेज व अन्य जगहों पर मिल जाएंगे।
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इनके माध्यम से ही हम किसी स्थान पर प्रवेश करते हैं। हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत का एक शहर ऐसा भी है, जिसे दरवाजों का शहर भी कहा जाता है। कौन-सा है यह शहर और भारत के किस राज्य में है स्थित, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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क्यों दिया जाता है शहरों को उपनाम
सबसे पहले तो हम यह जान लेते हैं कि आखिर शहरों को उपनाम क्यों दिया जाता है। आपको बता दें कि शहरों को उपनाम देने के पीछे उनकी एक अलग पहचान स्थापित करना उद्देश्य होता है।
क्योंकि, कुछ शहर अपनी भूगौलिक स्थिति, खान-पान, वेशभूषा और संस्कृति की वजह से खास पहचान रखते हैं। ऐसे में इन शहरों को उनकी विशेषताओं की वजह से उपनाम दिया जाता है, जो कि लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस वजह से लोग इन शहरों की तरफ और भी आकर्षित होते हैं।
किस शहर को कहा जाता है ‘दरवाजों का शहर’
भारत में अलग-अलग शहर मौजूद हैं। इन्हीं शहरों में से एक शहर ऐसा भी है, जिसे दरवाजों का शहर भी कहा जाता है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर को दरवाजों का शहर भी कहा जाता है। यह शहर जितना एतिहासिक है, उतने ही यहां के दरवाजें भी मशहूर हैं।
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क्यों कहा जाता है दरवाजों का शहर
अब सवाल यह है कि आखिर इस शहर को ही दरवाजों का शहर क्यों कहा जाता है। औरंगाबाद जिले की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक, इस शहर को दरवाजों का शहर भी कहा जाता है, क्योंकि इस शहर में प्रवेश के लिए 52 दरवाजे हैं।
यहां मौजूद हर दरवाजे का अपना इतिहास और स्थानीय जुड़ाव है। इस शहर के सबसे बड़े और पुराने दरवाजे की बात करें, तो वह भडकल दरवाजा है, जिसका निर्माण मलिक अंबर ने 1612 में मुगलों के खिलाफ विजयी होने के प्रतीक चिन्ह के रूप में कराया था। इस दरवाजे से आज भी आवाजाही की जा सकती है।
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यहां देखने को मिलेंगे 500 साल पुराने युद्ध के कपड़े
इस शहर में पहुंचने में आपको महान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर संग्रहालय भी देखने को मिलेगा। इस संग्रहालय में मराठा शासकों द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार व अन्य चीजें देखने को मिलेंगी।
इसके साथ ही यहां आज भी 500 साल पुराने युद्ध में पहने जाने वाले कपड़े मिलेंगे, जिन्हें अंग वस्त्र कहा जाता है। वहीं, इस संग्रहालय में आपको मुगल शासक औरंगजेब द्वारा हाथ से लिखी गई कुरान भी मिलेगी।
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Source: vcmp.edu.vn