आदित्य-L1 मिशन से जुड़े इन 11 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब आपको जानने चाहिए

चंद्रयान-3 की सफलता से उत्साहित इसरो अपने पहले सौर मिशन की पूरी तैयारी कर चुका है. इसरो आदित्य L1 मिशन पर बहुत पहले से काम कर रहा था. वर्ष 2019 में, केंद्र ने आदित्य-L1 मिशन के लिए लगभग 46 मिलियन डॉलर के बराबर राशि मंजूर की थी. इसरो ने लागत पर कोई आधिकारिक अपडेट नहीं दिया है.

आदित्य L1 मिशन का उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है. आदित्य L1 सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन पॉइंट (L1) के पास हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जायेगा. चलिये आदित्य-L1 मिशन से जुड़े कुछ प्रमुख सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते है.    

1. आख़िर आदित्य L-1 क्या है?

आदित्य L-1 एक साइंटिफिक स्पेस क्राफ्ट है. यह एक स्पेस ऑब्जर्वेटरी है जो स्पेस टेलिस्कोप और अन्य इन्स्ट्रुमेंट से लैस है. यह 24×7 सूर्य से जुड़े अध्ययन को अंजाम देगा. आदित्य L-1 को पीएसएलवी रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा.

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2. क्या यह एक सैटेलाइट है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाएगा?

नहीं, यह पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करेगा. यह पृथ्वी और सूर्य के बीच सीधी रेखा पर पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर एक पॉइंट पर स्थिर रहेगा जिसे लैग्रेंजियन-1 पॉइंट कहा जाता है. आदित्य L1 पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाने वाला इसरो का 5वां मिशन है.  

3. आदित्य L-1 मिशन के साथ कितने साइंटिफिक पेलोड भेजे जा रहे है?

आदित्य L1 मिशन सात वैज्ञानिक पेलोड (उपकरण) लेकर जायेगा. आदित्य L1 मिशन स्पेसक्राफ्ट के पेलोड फ़ोटोस्फ़ेयर, क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (CORONA) का अध्ययन करेंगे.  

4. आदित्य L-1 स्पेस क्राफ्ट को किस ऑर्बिट में स्थापित किया जायेगा?

आदित्य L1 मिशन का उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है. आदित्य L1 सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन पॉइंट (L1) के पास हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जायेगा. 

5. आदित्य L-1 स्पेस क्राफ्ट कितने समय में लैग्रेंजियन (L1) पॉइंट तक पहुंचेगा? 

आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट को इसरो के पीएसएलवी रॉकेट द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. पहले इसे पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा. जहां से इसे पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के लैग्रेंजियन (L1) पॉइंट में स्थापित करने के लिए बूस्ट किया जायेगा. इस मिशन के लैग्रेंजियन (L1) पॉइंट तक पहुंचने में लगभग लगभग चार महीने का समय लगेगा. 

6. आदित्य-एल1 मिशन की लागत कितनी है?

वर्ष 2019 में, केंद्र ने आदित्य-L1 मिशन के लिए लगभग 46 मिलियन डॉलर के बराबर राशि मंजूर की थी. इसरो ने लागत पर कोई आधिकारिक अपडेट नहीं दिया है.

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7. लैग्रेंजियन (L1) पॉइंट क्या है?

लैग्रेंजियन (L1) पॉइंट किन्हीं दो खगोलीय पिंडों (जैसे पृथ्वी-सूर्य या पृथ्वी-चंद्रमा) के बीच का स्पेस है. लैग्रेंजियन (L1) पॉइंट पर रखा कोई भी ऑब्जेक्ट स्थिर रहेगा क्योंकि यह दोनों पिंडों से समान रूप से खीचें जाने के अधीन होगा. किन्हीं दो पिंडों के बीच ऐसे कई लैग्रेंजियन पॉइंट हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, पृथ्वी-सूर्य के बीच में ऐसे पाँच पॉइंट है.   

8. सूर्य का अध्ययन कैसे करेगा आदित्य-L1?

 स्पेस में किसी भी ऑब्जेक्ट के बारें में दूर से जानने के लिए, ऑब्जेक्ट से किसी प्रकार का संचार होना आवश्यक है. उदाहरण के लिए, यदि आप किसी व्यक्ति के बारे में जानना है तो आप पत्र या उसकी आवाज़ आदि से संपर्क स्थापित करना होगा. इसी प्रकार दूर से किसी खगोलीय ऑब्जेक्ट बारे में जानना है तो उसके सम्पर्क में आना ही होगा. सूर्य के केस में प्रकाश और अन्य विद्युत चुम्बकीय विकिरण ही माध्यम है.   

9. आदित्य L-1 मिशन अपने साथ कौन-कौन से पेलोड ले जा रहा है?

आदित्य L-1 मिशन अपने साथ 7 पेलोड को लेकर जा रहा है. जो इस प्रकार है- 

  • विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (Visible Emission Line Coronagraph-VELC) 
  • सोलर अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (Solar Ultra-violet Imaging Telescope-SUIT)
  • आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (Aditya Solar wind Particle EXperiment-ASPEX)
  • प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (Plasma Analyser Package for Aditya-PAPA) पेलोड
  • सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
  • हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer-HEL1OS)
  • एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई-रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (Advanced Tri-axial High-Resolution Digital Magnetometers)

10. क्या सूर्य के ताप से ये उपकरण पिघल नहीं जायेंगे?

लैग्रेंजियन (L1) पॉइंट पृथ्वी से सूर्य की दिशा में ‘सिर्फ’ 1.5 मिलियन किमी दूर है, जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी का 1 प्रतिशत है. बेशक, लैग्रेंजियन पॉइंट पर तापमान अधिक होगा लेकिन कुछ हजारों या लाखों के तापमान से कही कम होगा. साथ ही इन उपकरणों को इतनी क्षमता के साथ ही तैयार किया गया है जिस कारण ये उपकरण पिघलेंगे नहीं.       

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11. आदित्य L1 मिशन का उद्देश्य क्या है?

आदित्य L1 मिशन सौर गतिविधियों का अध्ययन करेगा. स्पेसक्राफ्ट के पेलोड (उपकरण) फ़ोटोस्फ़ेयर, क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का अध्ययन करेंगे. सौर मिशन आदित्य L-1 सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की बनावट, तापमान प्रक्रिया, सौर तूफान की उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य में होने वाले शक्तिशाली विस्फोट), अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों आदि का अध्ययन करेगा.  

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Source: vcmp.edu.vn

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